
डायबिटीज के लक्षण व इलाज
डायबिटीज एक रोग है जो शुगर (ग्लूकोज) की मात्रा को नियंत्रित रखने वाले इंसुलिन हार्मोन की कमी के कारण होता है। यह एक बहुत ही सामान्य रोग है जो लोगों के लिए जीवन खतरे का कारण बन सकता है।
बहुत ज्यादा प्यास लगना, बहुत ज्यादा भूख लगना, थकान या थकावट, पेशाब की आवश्यकता के बारे में बार-बार सोचना, वजन कम होना या वजन बढ़ना इत्यादि।
अगर डायबिटीज का समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो यह समस्याएं और जटिलताएं पैदा कर सकता है जैसे कि आँखों, किडनी, नसों और दिल की समस्याएं
डायबिटीज होने के कुछ मुख्य कारण :
- वजन बढ़ना: अधिक वजन होने से शरीर में इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है और इससे इंसुलिन उत्पादन में कमी होती है, जिससे डायबिटीज हो सकता है।
- अन्य बीमारियां: अन्य बीमारियों जैसे कि हार्ट रोग, हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर आदि भी डायबिटीज का कारण बन सकती हैं।
- आनुवंशिक तत्वों: डायबिटीज आनुवंशिक भी हो सकता है और परिवार के कुछ सदस्यों में यह समस्या पहले से हो तो आपको भी इससे ग्रसित होने का खतरा रहता है।
- अन्य कारकों: खुराक, तंबाकू और अल्कोहल का उपयोग भी डायबिटीज का कारण बन सकता है।
- फैमिली हिस्ट्री: डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री होने से इस रोग के होने के जोखिम में बढ़ोतरी होती है।
यह उपरोक्त कारण डायबिटीज के लिए अधिकतर जिम्मेदार होते हैं।
डायबिटीज होने के लक्षण :
- ज्यादा प्यास लगना: डायबिटीज के मरीजों को अक्सर बहुत ज्यादा प्यास लगती है और उन्हें बार-बार पानी पीने की इच्छा होती है।
- ज्यादा भूख लगना: डायबिटीज के मरीजों को बार-बार खाने की इच्छा होती है जिससे वह अत्यधिक खाने लगते हैं।
- थकान और थकावट: डायबिटीज के मरीजों को थकान और थकावट की शिकायत हो सकती है।
- निम्न रक्त शर्करा स्तर: डायबिटीज के मरीजों के रक्त शर्करा स्तर कम हो सकते हैं।
- बार-बार मूत्र आना: डायबिटीज के मरीजों को बार-बार मूत्र आने की इच्छा होती है और उन्हें रात में भी अक्सर मूत्र आने की जरूरत होती है।
- रक्तचाप में बढ़ोतरी: डायबिटीज के मरीजों को अक्सर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है।
- बौने शरीर का दिखना: डायबिटीज के मरीजों को अक्सर बौने शरीर का दिखने लगता है।
ये सामान्य लक्षण हैं,
डायबिटीज के गंभीर लक्षण
हाइपोग्लाइसेमिया (खून में शुगर कम होने की स्थिति):
यह स्थिति डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत खतरनाक हो सकती है। यह तब होता है जब उनकी इंसुलिन दवा की खुराक अधिक होती है या वे अपनी दवाओं का सेवन नहीं करते हैं। इससे उन्हें चक्कर आने, असंतुलित चलन-फिरन और कमजोरी जैसे लक्षण हो सकते हैं। अगर इसे उपचार नहीं किया जाता है तो यह अपास्तिमित हो सकता है और ब्रेन डेमेज या मौत का कारण बन सकता है।
हार्ट अटैक और स्ट्रोक:
डायबिटीज वाले मरीजों को हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज उन्हें यहां तक कि कम उम्र में भी हो सकती हैं।
न्यूमोनिया:
डायबिटीज के मरीजों को न्यूमोनिया होने की संभावना अधिक होती है और इससे उन्हें सांस लेने में कठिनाई होती है।
नेफ्रोपैथी (यानी किडनी सम्बन्धी समस्या):
डायबिटीज किडनी समस्याओं का एक बड़ा कारण है। डायबिटीज के मरीजों में किडनी के कार्यों में अस्थिरता होती है, जिससे वे संभावित रूप से किडनी समस्याओं से पीड़ित होते हैं। यह समस्याएं नेफ्रोपैथी के रूप में जानी जाती हैं, जिसमें किडनी ट्यूबल्स और ग्लोमेरुलस जो खून को फ़िल्टर करते हैं, के नुकसान होते हैं।
डायबिटीज में उच्च रक्तचाप, बार-बार मूत्र आना या किडनी संक्रमण के लक्षणों को नजरअंदाज न करना भी इस समस्या का कारण बन सकता है। यदि ये समस्याएं अनदेखी रहती हैं तो यह किडनी फेल होने का खतरा बढ़ा देती हैं।
डायबिटीज़ किसे अधिक होने की संभावन
डायबिटीज के होने की संभावना निम्नलिखित समूहों में अधिक होती है:उम्र के साथ: डायबिटीज होने का खतरा बढ़ता है जब आपकी उम्र बढ़ती है। 45 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों में डायबिटीज की संभावना अधिक होती है।
परिवार में संबंधितों में डायबिटीज होना:
अगर आपके परिवार में किसी को डायबिटीज है तो आपकी संभावना बढ़ जाती है।
वजन:
जब आपका वजन अधिक होता है, तो आपकी शरीर की इंसुलिन उत्पादन अवरोधित हो सकता है और आपको डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।
शरीर का अपारदर्शिता या गतिहिंसा:
शरीर का अपारदर्शिता और गतिहिंसा व्यक्ति को डायबिटीज के लिए अधिक अनुकूल बनाते हैं।
अन्य संबंधित रोगों:
डायबिटीज के लिए अधिक अनुकूल बनाने वाले रोगों में उच्च रक्तचाप, अल्कोहल या तंबाकू का सेवन, एक असंतुलित आहार या व्यायाम कम होना शामिल होते हैं।
डायबिटीज़ में डाइट का प्लान कैसा होना चाहिए
डायबिटीज में डाइट का प्लान इस बीमारी को नियंत्रित करने में बहुत महत्वपूर्ण होता है। निम्नलिखित हैं कुछ महत्वपूर्ण सुझाव:
कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा कम करें:
डाइबिटीज वालों को ज्यादातर कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार से बचना चाहिए। सुझाव दिए गए हैं कि डाइबिटीज वालों को अपनी डाइट में फल और सब्जियों, मूंगफली, दाल, अंकुरित अनाज और ओट्स जैसे पदार्थों को शामिल करना चाहिए।
फाइबर युक्त आहार:
फाइबर सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है और इससे डाइबिटीज के लोगों को फायदा होता है। सब्जियां, अंकुरित अनाज, फल, नट्स और बीज आदि डाइट में शामिल करने चाहिए।
अनुमति युक्त मेंटेनेंस:
डाइबिटीज वालों को अपने आहार में चीनी, मिठाई, नमकीन और तली हुई चीजों से दूर रहना चाहिए। वे भोजन के साथ मिठाई खाने की बजाय स्वीट फ्रूट्स जैसे खजूर, अनार, सेब आदि का उपयोग कर सकते हैं।
डायबिटीज़ का इलाज
डायबिटीज का उपचार निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:
दवाइयों का सेवन:
डायबिटीज के उपचार में डॉक्टर दवाइयों का प्रयोग करते हैं। ये दवाएं रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
आहार और व्यायाम:
स्वस्थ आहार लेना और नियमित व्यायाम करना डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है। आहार में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और फैट्स की सही मात्रा होनी चाहिए।
इंसुलिन थैरेपी:
टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों को इंसुलिन इंजेक्शन देने की जरूरत होती है। यह इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
वसा कम करना:
डायबिटीज के मरीजों को अपने वजन को नियंत्रित करना चाहिए। अत्यधिक वजन के कारण रक्त शर्करा स्तर बढ़ सकता है।
दूसरी समस्याओं का उपचार:
डायबिटीज के मरीजों को किसी भी अन्य समस्या जैसे हाई ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो तो उन्हें उसका उपचार करवाना चाहिए।
इलाज पद्धति डायबिटीज़ के इलाज
डायबिटीज के इलाज की पद्धति का चयन डायबिटीज के प्रकार, रोग के स्थायीकरण, रोग की स्थिति, उम्र और व्यक्ति के स्वास्थ्य के आधार पर किया जाता है। कुछ लोगों को दवाइयों से संभवतः बेहतर परिणाम मिलते हैं जबकि कुछ लोगों को अन्य इलाज पद्धतियों से फायदा मिलता है।
आमतौर पर, डायबिटीज के इलाज की प्रमुख पद्धतियों में शामिल हैं:
दवाइयाँ: अंग्रेजी दवाइयाँ और आयुर्वेदिक दवाइयाँ डायबिटीज के इलाज में उपयोग की जाती हैं। दवाइयों का उपयोग शुगर को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
आहार व्यवस्था: अपनी आहार व्यवस्था में सुधार करना डायबिटीज के इलाज में बहुत महत्वपूर्ण होता है। अधिक फाइबर और कम वसा वाले आहार का सेवन करना शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
व्यायाम: नियमित व्यायाम करना शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
डायबिटीज़ का आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद में डायबिटीज का उपचार निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:
आहार और व्यायाम:
आहार में स्थानीय, सीजनल और नार्मल आहार का सेवन करना चाहिए। व्यायाम के लिए योग, प्राणायाम और व्यायाम जैसी अन्य एक्सरसाइज की भी मदद ली जाती है।
जड़ी बूटियों का सेवन:
कुछ जड़ी बूटियों का सेवन करने से डायबिटीज का उपचार किया जा सकता है। जैसे कि गुडमार, जमुन, करेला, नीम, तुलसी, जीरा और हल्दी।
पंचकर्म चिकित्सा:
पंचकर्म चिकित्सा डायबिटीज के उपचार के लिए उपयोगी होती है। इसमें विभिन्न प्रकार की मालिश, शिरोधारा, स्वेदन और नेत्रतर्पण शामिल होते हैं।
आयुर्वेदिक दवाएं:
आयुर्वेद में कुछ दवाओं का सेवन करने से डायबिटीज का उपचार किया जा सकता है। इनमें जमुन गुटली, विजयसार, गुडमार, शिलाजीत, त्रिफला, अमला, गुग्गुल और करीपट्टा शामिल होते हैं।
गुडमार (Gudmar) – गुडमार डायबिटीज में इंसुलिन सेक्रेशन को बढ़ाने के लिए उपयोगी होता है। इसे रोजाना खाने के बाद ले सकते हैं।
करेला (Karela) – करेला डायबिटीज में खून शर्करा को कम करने में मददगार होता है।
जामुन (Jamun) – जामुन मीठे खाने के बाद खाने से खुन में शर्करा का स्तर कम होता है।
मेथी (Methi) – मेथी डायबिटीज के मरीजों के लिए उपयोगी होती है, क्योंकि यह खून में शर्करा का स्तर कम करने में मदद करती है।
नीम (Neem) – नीम डायबिटीज में उपयोगी होता है, क्योंकि इसमें अनेक ऐसे तत्व होते हैं जो शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करते हैं।
इन दवाओं के सेवन से पहले आपको एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। आपके रोग के लक्षणों और दवाओं की खुराक के बारे में उन्हें बताना चाहिए, ताकि वे आपको सही दवा दे सकें। यदि आप अपनी डाइट में भी परिवर्तन करें
होम्योपैथिक से डायबिटीज़ का इलाज संभव
होम्योपैथिक चिकित्सा में डायबिटीज के लिए कई दवाइयां होती हैं,जो रोग के लक्षणों और व्यक्ति की स्थिति के आधार पर निर्धारित की जाती हैं। हालांकि, होम्योपैथी चिकित्सा के तहत किसी भी दवा का सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करना अति आवश्यक होता है।
डायबिटीज के होम्योपैथिक इलाज में कुछ प्रमुख दवाएं हैं जैसे:
- Syzygium Jambolanum – यह दवा खाने के बाद खून में शुगर को कम करने में मदद करती है।
- Uranium Nitricum – यह दवा थकान, शुगर की भारी मात्रा, पेशाब में जलन और उल्टी जैसी समस्याओं का सामना करने में मदद करती है।
- Phosphorus – यह दवा डायबिटीज में संक्रमण और सूखी खुजली जैसी समस्याओं का सामना करने में मदद करती है।
- Arsenicum Album – यह दवा खुजली, थकान, सूखी त्वचा, पेट में दर्द, उल्टी और दस्त जैसी समस्याओं के लिए उपयोगी होती है।
- Lycopodium – यह दवा खाने के बाद खुशबू की भारी मात्रा, अत्यधिक थकान और पेट में गैस की समस्याओं

